गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
तोड़ के हर पिंजरा जाने कब मैं उड़ जाऊँगी
चाहे लाख बिछा लो बंदिशे
फिर भी दूर आसमान मैं अपनी जगह बनाऊंगी
मैं हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
भले ही परम्परावादी जंजीरों से बांधे है दुनिया के लोगों ने पैर मेरे
फिर भी उस जंजीरों को तोड़ जाऊँगी
मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
कुछ माँगा नहीं,कुछ चाहा नहीं
बदला बस खुद को, कि रिश्ता टूट ना जाये कहीं
आदतों को बदला, चाहतों को बदला
भले मेरे अरमानों ने, अपनी करवट को बदला
समन्दर की एक बूंद बन जाऊं भले
बस समन्दर में मेरा अस्तित्व तो रहें
धूल का एक कण भी में बन ना सकी
मेरे त्याग की ओझल हो गई छबि
दिलों में बस जाए वो मोहब्बत हूँ
कभी बहिन, कभी ममता की मूरत हूँ
मेरे आँचल में हैं से चाँद सितारे
माँ के क़दमों में बसी एक जन्नत हूँ
हर दर्द-ओ-ग़म को छुपा लिया सीने में
लब पे ना आये कभी वो हसरत हूँ
मेरे होने से ही है यह कायनात जवान
ज़िन्दगी की बेहद हसीं हकीकत हूँ
हर रूप रंग में ढल कर सवर जाऊं
सब्र की मिसाल, हर रिश्ते की ताकत हूँ
अपने हौसले से तक़दीर को बदल दूँ
सुन ले ऐ दुनिया, हाँ मैं औरत हूँ…..हाँ मैं औरत हूँ